23 अप्रैल 2025

हिन्दुओं के विरुद्ध सुनियोजित साजिश

पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा उठाये गए नृशंस कदम को प्रथम दृष्टया भले ही आतंकी हमला कहा जाये, भले ही इसे पर्यटकों पर हमला कहा जाये मगर आतंकियों द्वारा जिस तरह से कलमा पढ़वा कर, खतना देख कर, मजहबी पहचान करने के बाद हत्याएँ की हैं वो अलग कहानी कह रहा है. हमले से स्पष्ट है कि आतंकियों का उद्देश्य पर्यटकों को मारना नहीं था, पहलगाम में दहशत फैलाना नहीं था बल्कि उनका उद्देश्य सिर्फ हिन्दुओं की हत्या करना था. इस हमले को पुलवामा आतंकी हमले के बाद बड़ा हमला बताकर पहलगाम की घटना के सन्दर्भों को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है.

 

पहलगाम की इस घटना के सन्दर्भ तलाशने के लिए कुछ वर्ष पूर्व की स्थितियों का आकलन किया जाना भी आवश्यक है. 2014 के बाद से जिस तरह से केन्द्र सरकार के ठोस और दृढ़ निर्णयों के बाद से भारतीय सेना ने, यहाँ के वीर जवानों ने अपने पूरे पराक्रम, पूरे साहस के साथ पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद की, आतंकवादियों की कमर तोड़ी है, वह अपने आपमें बेमिसाल है. इसके साथ ही अगस्त 2019 में केन्द्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया था. इसको समाप्त करने के साथ ही राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करके दोनों को केन्द्रशासित राज्य घोषित कर दिया था. अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद से जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में आतंकी घटनाओं में कमी देखने को मिली. यहाँ के सामान्य नागरिकों, विशेष रूप से हिन्दुओं ने सहजता का अनुभव किया. विगत के कुछ वर्षों में हिन्दू जनसंख्या द्वारा हर्षोल्लास के साथ अपने पर्व-त्योहारों का मनाया जाना आरम्भ हो गया. किसी समय मौत की कहानी कहते, सन्नाटों में रहने वाले लाल चौक ने भी शान से भारतीय तिरंगे को लहराते हुए देखा. यदि ऐसी अनेकानेक घटनाओं का सार निकाला जाये, उनका आकलन करके निष्कर्ष निकाला जाये तो कहीं न कहीं एहसास होगा कि अनुच्छेद 370 की समाप्ति से जहाँ जम्मू-कश्मीर में शांति बहाल होने लगी थी, वहीं हिन्दुओं में भी सुरक्षा का भाव आने लगा था.

 



जम्मू-कश्मीर की ऐसी स्थिति कम से कम उनके लिए असुविधाजनक तो है ही जो यहाँ पर आतंकवाद को फलते-फूलते देखना चाहते हैं. जम्मू-कश्मीर में हिन्दुओं की सहजता उन कट्टर ताकतों के लिए असहज हो गई होगी जिनके हाथ कश्मीरी हिन्दुओं के खून से रँगे हैं. यहाँ की शांति पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों के पैरोकारों के लिए, उनके कट्टरपंथी आकाओं के लिए भी चुभने वाली रही होगी. 2014 के बाद से जिस तरह से केन्द्र सरकार की रणनीति जम्मू-कश्मीर क्षेत्र को लेकर स्पष्ट रही है, जिस तरह से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को लेकर, बलूचिस्तान की स्वतंत्रता को लेकर भारतीय कूटनीतिज्ञ कदम सामने आते रहते हैं, उससे भी इस क्षेत्र के और सीमा-पार के आतंकवादियों में निश्चित रूप से बेचैनी रही होगी. ऐसी स्थितियों के बीच में जहाँ जम्मू-कश्मीर लगातार शांति, सुरक्षा की राह पर बढ़ता दिख रहा है वहीं पाकिस्तान की हालत लगातार अस्थिर होती जा रही है. यह किसी से भी छिपा नहीं है कि पाकिस्तान की, वहाँ की सरकार की अस्थिरता को रोकने का एकमात्र कदम भारत-विरोध, हिन्दू-विरोध रहा है. यह आज से नहीं बल्कि पाकिस्तान के निर्माण से ही उनका प्रमुख हथियार बना हुआ है. इस हथियार का प्रयोग पिछले सप्ताह इस्लामाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने किया था. पाकिस्तानी सेना प्रमुख द्वारा उस कार्यक्रम में बयान अनायास ही नहीं दिए गए हैं. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की उपस्थिति में पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने कश्मीर को पाकिस्तान की गर्दन की नस बताया. इसके साथ-साथ उन्होंने परम्पराओं, रीति-रिवाजों, धर्म आदि को अलग-अलग मानते हुए हिन्दू-मुसलमानों को भी अलग बताया. सीमा-पार से आये इस तरह के अलगाववादी बयानों के बाद धार्मिक पहचान के आधार पर किये जाने वाला हमला न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि चिंताजनक है.

 

इधर जाँच में सामने आया है कि आतंकियों ने इस हमले की पूरी रणनीति पहले से तैयार कर रखी थी. पहलगाम पर्यटन स्थल को चुनने के पीछे उनका उद्देश्य गैर-कश्मीरियों को निशाना बनाना था. इसमें भी उनके निशाने पर हिन्दू नागरिक ही थे. स्पष्ट है कि जम्मू-कश्मीर में अशांति, आतंकवाद चाहने वालों का उद्देश्य यह दिखाना है कि अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद भी स्थितियाँ सुधरी नहीं हैं. यहाँ पर हिन्दू अभी भी असुरक्षित है. अब जबकि इस जघन्य और सुनियोजित इस्लामिक आतंकी हत्याकांड के बाद सेना सर्च ऑपरेशन चला रही है तो निश्चित रूप से इस घटना के साजिशकर्ता भी बेनकाब होंगे किन्तु केन्द्र सरकार को और अधिक कठोरता से, दृढ़ता से सैन्य कार्यवाही के लिए भारतीय सेना को अधिकाधिक अधिकार प्रदान करने होंगे. कठोर सैन्य कार्यवाई के द्वारा आतंकवादियों के, कट्टरपंथियों के आकाओं को, सीमा-पार पाकिस्तानी आतंकवाद को नेस्तनाबूद करना चाहिए. जम्मू-कश्मीर से विस्थापित हो चुके हिन्दुओं के मन में यह विश्वास जगाना होगा कि वे अब पूरी सुरक्षा, सहजता के साथ वापस लौट सकते हैं. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह सन्देश देना होगा कि जम्मू-कश्मीर यहाँ के नागरिकों के लिए, पर्यटकों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है.


15 अप्रैल 2025

सकारात्मकता ही सफलता प्रदान करवाती है

विकास की दौड़ में अंधाधुंध भागते समाज में यदि मानसिकता की बात की जाये तो बहुतायत में ऐसे लोग मिलेंगे जो नकारात्मकता से भरे दिखते हैं. आपने अपने आसपास महसूस किया होगा कि सड़क पर चलते हुए लोग हों, बाजार के खरीददारी करती भीड़ हो, कार में बैठकर यात्रा पर निकले मुसाफिर हों, अपने काम के सम्बन्ध में दौड़ते-भागते लोग हों अथवा अन्य कोई और समूह, बहुतायत लोग परेशान से, विचारों में खोये, उदास से नजर आते हैं. बहुसंख्यक लोगों के चेहरों से एक तरह की मुस्कान, एक तरह की संतुष्टि, एक तरह की सकारात्मकता गायब मिलती है. यदि नकारात्मकता के सम्बन्ध में गणितीय नियमों पर ध्यान दें तो गणित के अनुसार दो नकारात्मक (निगेटिव) मिलकर धनात्मक (पॉजिटिव) की उत्पत्ति करते हैं. ऐसा निश्चित रूप से गणितीय संरचना में सम्भव है मगर सामाजिक रूप में, किसी व्यक्ति के जीवन में एक निगेटिव ही परेशानी पैदा कर देता है.

 

वर्तमान में समाज में बहुतायत में नकारात्मकता देखने को मिल रही है. काम करने का ढंगजीवन-शैलीसोचना-समझनातर्क-वितर्कसामाजिक सरोकार आदि में नकारात्मकता परिलक्षित हो रही है. विकासोन्मुख इन्सान अपने विकास के सापेक्ष नकारात्मक होता जा रहा है. इसके पीछे खुद इन्सान की ही बहुत बड़ी भूमिका है. किसी भी तरह की जरा सी परेशानी कोछोटे से कष्ट कोकिसी छोटी सी घटना को वह अपने दिल-दिमाग में इस कदर बैठा लेता है कि उसके सापेक्ष सम्पूर्ण जीवन का निर्धारण करने लगता हैउन्हीं घटनाओं के सन्दर्भ में आने वाले समय की सफलताओं-असफलताओं को निर्धारित करने लगता है. अतीत की समस्याओंपरेशानियोंकष्टों को वर्तमान अथवा भविष्य के साथ जोड़कर कार्य करने से जहाँ एक तरफ कार्य-क्षमता प्रभावित होती है वहीं दूसरी तरफ अन्य विकासात्मक कार्यों में भी व्यवधान पड़ता है.

 



यह सच है कि परिस्थितियाँ किसी न किसी रूप में मनुष्य के सोचने-समझने को प्रभावित करती हैं किन्तु यह भी सच है कि यदि मनुष्य अपने आपको स्थिर रखेसंयमित रखेनियंत्रित रखे तो निसंदेह वह अपनी सोच को भी नियंत्रित कर सकता है. इसी सोच के द्वारा जीवन में सकारात्मकतानकारात्मकता का निर्माण होता है. देखा जाये तो किसी के भी जीवन में सकारात्मकता हो या फिर नकारात्मकतावह कहीं बाहर से नहीं आती है. ये उसकी सोच और उसके व्यावहारिक क्रियान्वयन पर निर्भर करती है. यह मानवीय स्वभाव की बहुत बड़ी कमजोरी होती है कि किसी भी असामान्य स्थिति के उत्पन्न होने पर, किसी भी तरह की असहज स्थिति सामने आने पर व्यक्ति के मन-मष्तिष्क में सबसे पहले नकारात्मक विचार ही आते हैं. इस तरह की नकारात्मक स्थिति पर अंकुश नहीं लगाये जाने से ऐसे व्यक्तियों के स्वभाव में नकारात्मक लक्षणों की तीव्रता बढ़ती जाती है. इसके चलते वह अपने परिजनोंसहयोगियोंसामाजिक क्रियाकलापों में अकेलेपन का अनुभव करने लगता है. इससे उसके स्वभाव में भी बदलाव आने लगता है.

 

ऐसा नहीं है कि किसी व्यक्ति के जीवन में आई नकारात्मकता को दूर नहीं किया जा सकता है. चूँकि यह स्थिति विशुद्ध सोच परमानसिकता पर आधारित हैइस कारण इससे छुटकारा भी पाया जा सकता है. नकारात्मकता को सकारात्मकता में परिवर्तित किया जा सकता है. इसके लिए सबसे पहले तो किसी भी व्यक्ति को अपने विश्वास कोअपनी सोच को कमजोर नहीं मानना चाहिए. आत्मविश्वास को सर्वोच्च स्तर तक बनाये रखने वाले व्यक्ति किसी भी तरह की नकारात्मकता को अपने आसपास फटकने भी नहीं देते. ऐसे व्यक्ति जिनको छोटी-छोटी समस्याओंपरेशानियों के चलते नकारात्मक विचार आने शुरू हो जाते हैं उन्हें सदैव ऐसे लोगों से मिलने से बचना चाहिए जो सिर्फ और सिर्फ नकारात्मक बातों को प्रश्रय देते हैंउन्हें बढ़ावा देते हैं. अक्सर देखने में आता है कि व्यक्ति आपसी वार्तालाप में नकारात्मक शब्दों का प्रयोग करता हैअपने साथ होने वाले कष्ट कोदुःख को बहुत बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत करता हैउसे ऐसा करने से बचना चाहिए. सकारात्मक शब्दों का अधिकाधिक प्रयोग करना चाहिए. इसके साथ-साथ जीवन को निरुद्देश्य समझकर गुजारने की प्रवृत्ति से बचना चाहिए. प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का अपना महत्त्व है और वह उसी के अनुसार इस समाज में अपना योगदान दे रहा होता है. समाज में अपना योगदान से रहे ऐसे लोगों को अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए साथ ही अपने किसी शौक को भी स्थापित करने की आवश्यकता है. बहुधा देखने में आता है कि व्यक्ति लगातार कार्य करने के बाद भी समाज मेंपरिवार में उस प्रस्थिति को प्राप्त नहीं कर पाता है जिसका हक़दार वह खुद को समझता है. इसके चलते भी उसमें नकारात्मक सोच का जन्म होने लगता है. ऐसे व्यक्तियों को अपने किसी न किसी शौक के द्वारा अपने व्यक्तित्व को निखारने का प्रयास करना चाहिए.

 

नकारात्मकता से दूर रहने के लिए अथवा नकारात्मकता को स्वयं से दूर रखने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को खुद को तनावमुक्त रखने की आवश्यकता है. वर्तमान जीवन-शैली जिस तरह से होती जा रही है, उससे जरा-जरा सी बात पर व्यक्ति तनावग्रस्त होने लगता है. इससे बचने का एक सूत्र सदैव याद रखना चाहिए कि जो कार्य व्यक्ति के नियंत्रण में, उसकी पहुँच में है उसको कर लेना चाहिए, उसके लिए तनाव लेने की आवश्यकता नहीं और कोई ऐसा कार्य है जो उसके वश में नहीं, उसके द्वारा उसका समाधान किया जा पाना सम्भव नहीं तो ऐसे विषय पर उसे तनाव लेने की आवश्यकता नहीं. गणितीय नियमों की तरह सामाजिक जीवन में भी निगेटिव भी पॉजिटिव में बदलता है किन्तु इसके लिए व्यक्ति को अपने कार्य से संतुष्टिअपनी सोच में विश्वासअपने रहन-सहन में नियंत्रणअपने जीवन में उद्देश्य बनाये रखना चाहिए. याद रखना होगा कि व्यक्ति की सकारात्मकता ही उसको सफलता प्रदान करवाती हैउसे मंजिल तक ले जाती है.

 


12 अप्रैल 2025

तीस लाख वर्ष की मातृशक्ति 'लूसी'

इथियोपिया में 1975 में एक कंकाल मिला था. जाँच के बाद बताया गया कि यह कंकाल लगभग तीस लाख साल पहले पृथ्वी पर रहने वाली एक औरत का है. इसे इस दुनिया का सबसे पुराने मानव कंकाल के रूप में चिन्हित किया गया. जाँच से जानकारी मिली कि यह कंकाल ऑस्ट्रेलोपिथेकस एफरेंसिस प्रजाति का है, जो लगभग बत्तीस लाख वर्ष पुराना माना जा रहा है. इस कंकाल के मिलने के बाद से ही इस पर अनेक तरह के शोध किये गए, अनेक तरह से इसकी वास्तविकता को सामने लाने का प्रयास किया गया. कंकाल का वास्तविक स्वरूप सामने लाने के लिए लगातार शोध भी चल रहे थे.

 



इसी सन्दर्भ में एक खबर सामने आई कि वैज्ञानिकों की एक टीम ने फॉरेंसिक फेसियल रिकंस्ट्रक्शन तकनीक से कंकाल की खोपड़ी के थ्री-डी स्कैन और चिम्पांजी के सॉफ्ट टिशू डाटा की सहायता ली. वैज्ञानिकों की टीम ने इस तकनीकी की मदद से कंकाल की खोपड़ी का लगभग वास्तविक चेहरा बना लेने में सफलता प्राप्त कर ली. इस चेहरे का अनुमानिक आकार पाने के बाद वैज्ञानिकों ने इस कंकाल या कहें कि कंकाल से बने चेहरे का नाम लूसी रखा. इस कंकाल की अनुमानित लम्बाई साढ़े तीन फीट है.

 

मानवीय सभ्यता के सबसे पुराने पूर्वजों में से एक लूसी का चेहरा, भले ही यह काल्पनिक अथवा तकनीक से उत्पन्न हुआ हो, इसे देखना रोमांचकारी है. इस चेहरे के द्वारा अपने अतीत से जुड़ना निश्चित ही अद्भुत है, रोमांचक है. तकनीकी सहायता से कंकाल से निर्मित चेहरे लूसी को नमन, लूसी के रूप में लाखों-लाखों वर्ष पहले की मातृशक्ति को नमन.

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इंटरनेट, सोशल मीडिया पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार 

09 अप्रैल 2025

टैरिफ वॉर की चपेट में वैश्विक अर्थव्यवस्था

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा शुरू किये गए टैरिफ वॉर से वैश्विक व्यापारिक जगत में हाहाकार मचा हुआ है. दुनिया भर के शेयर बाजार धड़ाम नजर आ रहे हैं. यदि सिर्फ अमेरिकी शेयर बाजार की चर्चा करें तो टैरिफ लगाने के बाद से यहाँ लगभग छह ट्रिलियन डॉलर अर्थात लगभग 516 लाख करोड़ रुपये डूब चुके हैं. यदि भारतीय बाजार के सन्दर्भ में देखा जाये तो यह रकम भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के आकार से दोगुनी है. सोचा-समझा जा सकता है कि टैरिफ लगाये जाने की घोषणा से बाजार का जो हाल हुआ है, उससे आगे क्या हाल होने वाला है. बाजार की ऐसी स्थिति के स्पष्ट रूप से दिखाई देने के बाद भी ट्रम्प अपने फैसले को जबरिया सही सिद्ध करने पर उतारू हैं. दुनिया भर के 60 देशों पर टैरिफ लगाने के बाद अमेरिका सहित एशिया, यूरोप के बाजारों में भयंकर गिरावट दिख रही है, बावजूद इसके ट्रम्प इसकी तरफ से आँखें मूँद कर इसे एक दवा बता रहे हैं. जहाँ एक तरफ वैश्विक स्तर पर तमाम विशेषज्ञ ट्रम्प के इस टैरिफ वॉर की आलोचना कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ अमेरिकी राष्‍ट्रपति एक सवाल के जवाब में दो टूक भाषा में टैरिफ विरोध को दरकिनार करते हुए कहते हैं कि मैं किसी चीज में गिरावट नहीं चाहता लेकिन चीजें ठीक करने के लिए दवाई देनी पड़ती है.

 



आखिर ये समझने का विषय है कि किस कारण से ट्रम्प टैरिफ लागू किये जाने की जिद पकड़े हैं? ये भी जानने-समझने का विषय हो सकता है कि आखिर किस कारण से ट्रम्प को टैरिफ एक तरफ दवाई नजर आ रही है तो दूसरी तरफ खूबसूरत चीज दिखाई दे रही है. ट्रम्प ने सोशल मीडिया के एक मंच पर लिखा भी है कि चीन, यूरोपीय संघ और कई अन्य देशों के साथ हमारा विशाल वित्तीय घाटा है. इस समस्या का समाधान सिर्फ टैरिफ़ से ही संभव है. इससे अमेरिका में अरबों डॉलर आ रहे हैं. क्या वाकई टैरिफ की नई दरों से अमेरिका में अरबों डॉलर आ रहे हैं या फिर यह अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा अपनी बात को पुख्ता किये जाने के लिए कहा गया है? यदि बाजार के सन्दर्भ में अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर नजर डालें तो साफ़ समझ आ रहा है कि अमेरिकी सरकार पर कर्ज का बहुत बड़ा बोझ है. आँकड़े बताते हैं कि अमेरिकी सरकार वर्तमान में 36.1 ट्रिलियन डॉलर क़र्ज़ की सर्वोच्च सीमा पर है. इसके अलावा अमेरिका के लिए आर्थिक स्तर पर जो बुरी खबर है वो यह कि वर्तमान में अमेरिकी सरकार प्रतिवर्ष लगभग 900 बिलियन डॉलर से एक ट्रिलियन डॉलर के आसपास ब्याज का भुगतान करती है. टैरिफ के कारण अमेरिकी बॉण्ड यील्ड में आई गिरावट हाल-फिलहाल ट्रम्प सरकार के लिए राहत जैसी समझ आ रही. टैरिफ के कारण अमेरिका के दस वर्षीय बॉण्ड यील्ड में 4 प्रतिशत की गिरावट आई है. इसी तरह से बीस वर्षीय बॉण्ड यील्ड में 4.25 प्रतिशत और तीस वर्षीय बॉण्ड यील्ड में 4.3 प्रतिशत की गिरावट आई है. यह गिरावट इसलिए राहत का विषय हो सकती है क्योंकि इससे ब्याज देनदारी में कमी आएगी. ऐसी विषम स्थिति में ट्रम्प सरकार को राहत दिलाने का यह काम भले टैरिफ के माध्यम से होता दिखे मगर वह क्षणिक है और दीर्घकाल में समूचे विश्व में इसका नकारात्म्मक असर दिखने की आशंका है.

 

ट्रम्प के टैरिफ वॉर का असर वैश्विक स्तर पर तो पड़ेगा ही उसका अमेरिका पर भी काफी बुरा असर पड़ेगा. तात्‍कालिक प्रभाव से शेयर बाजार में छह लाख करोड़ डॉलर तो डूब ही चुके हैं जो अमेरिका की अर्थव्‍यवस्‍था का लगभग 20 प्रतिशत है. इसके साथ-साथ एशिया, यूरोपीय बाजारों में यह आँकड़ा सोच से कहीं अधिक बुरी कहानी बयान करता है. ऐसी स्थिति के चलते अमेरिका में मंदी की आशंका जताई जा रही है. विश्व की अनेक कम्पनियाँ जो अमेरिका को अपने उत्पाद, सेवाएँ भेजती हैं, उनके कारोबार और बाजार मूल्‍यांकन में तगड़ी गिरावट देखी जा रही है. इससे नौकरियों पर भी संकट आ गया है. यदि यश स्थिति वैश्विक रूप में मंदी के रूप में सामने आती है तो छोटी अर्थव्‍यवस्‍थाओं के लिए इससे उबरना मुश्किल हो जाएगा.

 

ट्रम्प के नेतृत्व में अमेरिका ने भले ही दो अप्रैल को अपना नया लिबरेशन दिवस घोषित करते हुए अमेरिका के अनेक व्यापारिक साझेदारों पर जवाबी शुल्क लगा दिया हो मगर इससे अमेरिका की स्थिति में सुधार होने की सम्भावना हाल-फिलहाल तो नजर नहीं आती है. बजाय किसी तरह के सुधार के एक सम्भावना यह बनती दिख रही है कि कहीं वैश्विक व्यापारिक क्षेत्र में अमेरिका शेष विश्व से अलग न हो जाये. ट्रम्प ने भले ही अमेरिका को अपने ही आर्थिक झंझावातों से बाहर निकालने के लिए, अमेरिका को कर्ज के मकड़जाल से मुक्त करवाने के लिए टैरिफ लगाये जाने का निर्णय लिया मगर इससे एशिया, यूरोप की अर्थव्यवस्था में अलग तरह के बदलाव देखने को मिल सकते हैं. विश्व की अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ अमेरिका से इतर एक नई व्यापारिक व्यवस्था को स्वीकार कर सकती हैं. निश्चित ही ऐसा होना वैश्वीकरण की व्यवस्था को पूरी तरह से उलट देने जैसा होगा. टैरिफ की घोषणा के आने मात्र से होने वाली उठापटक के बाद इसके दीर्घकालिक परिणामों के बारे में सुखद कल्पना तो कदापि नहीं की जा सकती है. देखना यह है कि आने वाले समय में ट्रम्प द्वारा शुरू किया गया टैरिफ वॉर क्या अंतिम परिणाम सामने लाता है?


04 अप्रैल 2025

वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 पारित

संसद ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को पारित कर दिया है. लोकसभा के बाद यह विधेयक राज्यसभा में भी पारित हो गया. राज्यसभा में विधेयक पर लगभग बारह घंटे तक चली चर्चा के बाद देर रात दो बजे के बाद मत-विभाजन करवाया गया. इसमें विधेयक के पक्ष में 128 सदस्यों ने मतदान किया जबकि 95 सदस्यों ने विधेयक के विरोध में मतदान किया. लोकसभा पहले ही विधेयक को मंजूरी दे चुकी है. यहाँ इस विधेयक के पक्ष में 288 और विरोध में 232 मत पड़े.

 



अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने ये संशोधन बिल पेश किया था. विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि इस कानून से करोड़ों गरीब मुसलमानों को फायदा होगा और किसी भी तरह से यह किसी भी मुसलमान को नुकसान नहीं पहुँचाएगा. उन्होंने कहा कि यह कानून वक्फ संपत्तियों में हस्तक्षेप नहीं करता है. वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को सुव्यवस्थित करना है, जिसमें विरासत स्थलों की सुरक्षा और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देने के प्रावधान हैं. इस विधेयक का उद्देश्य संपत्ति प्रबंधन में पारदर्शिता बढ़ाकर, वक्फ बोर्ड और स्थानीय अधिकारियों के बीच समन्वय को सुव्यवस्थित करके और हितधारकों के अधिकारों की रक्षा करके शासन में सुधार करना भी है. इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ बोर्ड को अधिक समावेशी बनाना है.

 

इसी के साथ संसद ने मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2025 को भी मंजूरी दे दी है. यह विधेयक मुसलमान वक्फ अधिनियम 1923 को निरस्त करता है, जिसे राज्यसभा ने मंजूरी दे दी है. लोकसभा में पहले ही इस विधेयक को पारित किया जा चुका है.