10 जनवरी 2018

ओल्ड मोंक में रम गया सारा जहाँ

सर्दी का मौसम आते ही जाम टकराने वालों की जुबान पर एक ही नाम प्रमुखता से रहता है, और वो नाम है ओल्ड मोंक रम का. बहुत से जाम के शौकीनों को शायद इसका भान ही न होगा कि ओल्ड मोंक रम विदेशी नहीं बल्कि अपने देश का ही ब्रांड है. ओल्ड मोंक रम को 19 दिसंबर 1954 में कपिल मोहन द्वारा लॉन्च किया गया था. यह लंबे समय तक दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली डार्क रम रही. सन 1929 में जन्मे कपिल मोहन ने आर्मी में ब्रिगेडियर पद से रिटायर होने के बाद मोहन मिकिन फैक्ट्री के चेयरपर्सन और मैनेंजिंग डायरेक्टर बने.


मोहन मिकिन की भी अपनी एक अलग कहानी है. यह कंपनी सन 1855 में अंग्रेज अधिकारी एडवर्ड अब्राहम डायर ने बनाई थी. (इसी अधिकारी के बेटे जनरल एडवर्ड हैरी डायर ने ही जलियांवाला बाग में निहत्थे भारतीयों पर गोलियां चलवाई थीं). ये एशिया की पहली ब्रिवरी कंपनी थी. इसकी शुरुआत कसौली जो आजकल हिमाचल प्रदेश का बड़ा टूरिस्ट प्वाइंट है, वहाँ की वादियों में हुई. इस स्थान का पानी ड्रिंक्स बनाने के लिए एकदम उपयुक्त था. इस कंपनी की पहली ड्रिंक लॉयन बियर थी. इसके बाद सन 1949 में कपिल मोहन के पिता एन. एन. मोहन ने डायर की इस कंपनी को खरीद लिया. एन. एन. मोहन भारत के एक बड़े बिजनेसमैन थे. सन 1966 में इस कंपनी का नाम बदलकर मोहन मिकिन ब्रिवरीज कर दिया गया. कपिल मोहन ने ओल्ड मोंक को लोंच करने के बाद उसको चाहे सेवन ईयर ओल्ड और टेन ईयर ओल्ड नाम देना हो या फिर रेग्युलर यूज मेडिसन (रम) कहलवाना हो, उन्होंने ब्रांड की अपने ही तरीके से मार्केटिंग की. ओल्‍ड मोंक की सफलता के बाद उन्होंने ग्लास फैक्ट्री, नाश्ते का खाना, फल-जूस प्रॉडक्ट्स, कोल्ड स्टोरेज जैसे बिजनेस में भी हाथ आजमाया, लेकिन उनको सबसे ज्यादा ड्रिंक्स में ही मिली. ओल्ड मोंक की सफलता को ऐसे समझा जा सकता है कि इसके शौकीन सिर्फ भारत में ही हैं. रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, यूएई, इस्टोनिया, फिनलैंड, न्यूजीलैंड, कनाडा, केन्या, जाम्बिया, कैमरून, सिंगापुर, मलेशिया आदि देशों में ओल्ड मोंक के शौकीन हैं.


व्यवसाय के साथ-साथ कपिल मोहन का योगदान विश्व महिला क्रिकेट को उभारने में भी रहा है. क्रिकेट का शौक उनको अपने आरम्भिक दिनों से ही था. इसी के चलते उन्होंने मोहन मिकिन फैक्ट्री के परिसर में ही स्पोर्ट्स स्टेडियम बनवाकर गाजियाबाद को एक सौगात दी. सन 1997 में महिला विश्व कप के दो मुकाबले उनके द्वारा स्थापित इसी स्टेडियम में ही खेले गए थे. वे स्वयं इसमें उपस्थित रहकर इसके गवाह बने. मोहन मिकिन कंपनी का दायित्व संभालने वाले कपिल मोहन ने सम्पूर्ण विश्व को यदि ओल्ड मोंक जैसा ब्रांड दिया है तो गाजियाबाद को भी कई सौगातें दीं. उन्होंने इस स्टेडियम के अलावा गाजियाबाद में मोहननगर कालोनी, मोहननगर मंदिर भी स्थापित किये.


कपिल मोहन के बारे में कहा जाता है कि वे बहुत ज़िदादिल इंसान थे. कपिल मोहन के भतीजे और वर्तमान में मोहन मिकिन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर हेमंत मोहन के अनुसार उम्र अधिक होने के कारण कपिल मोहन विगत तीन साल से अस्वस्थ चल रहे थे. इसके बावजूद वे लगातार मोहननगर और सोलन स्थित प्लांट पर जाते रहते थे. उनकी ज़िंदादिली का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लंबे समय से बीमार होने के बावजूद वे लगातार अपने विभिन्न प्लांट की गुणवत्ता और कर्मचारियों के हित के लिए सजग रहते थे. यही कारण था कि कर्मचारी प्यार से उन्हें ही ओल्ड मोंक (बूढ़े भिक्षु) कहने लगे थे. अपनी सक्रियता के चलते कपिल मोहन हिमाचल प्रदेश के सोलन की नगरपालिका समिति के अध्यक्ष भी बने. वे अंतिम समय तक समाजसेवा के कार्यों में भी सक्रिय रहे. उनके कार्यों को देखते हुए सन 2010 में उनको पद्मश्री से सम्मानित भी किया गया था. विश्वप्रसिद्ध रम को बनाकर पूरे विश्व में भारत और गाजियाबाद को नई पहचान दिलाने वाले पद्मश्री कपिल मोहन का निधन 06 जनवरी 2018 को गाजियाबाद स्थित अपने निवास स्थान में हो गया. कपिल मोहन 88 वर्ष के और लम्बे समय से अस्वस्थ चल रहे थे. 

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